Connect with us

Breaking: क्या उत्तराखंड की तर्ज पर खेला जाएगा, उत्तरप्रदेश में भी इन नेता पर दांव…

उत्तराखंड

Breaking: क्या उत्तराखंड की तर्ज पर खेला जाएगा, उत्तरप्रदेश में भी इन नेता पर दांव…

उत्तरप्रदेश। जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के हारने की काफी चर्चा हुई। इनमें से एक थे उत्तराखंड में सीएम का चेहरा रहे पुष्कर धामी और दूसरे यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दोनों के हारने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे थे।

उत्तरप्रदेश। जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के हारने की काफी चर्चा हुई। इनमें से एक थे उत्तराखंड में सीएम का चेहरा रहे पुष्कर धामी और दूसरे यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दोनों के हारने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे थे। धामी को तो बीजेपी ने चुनाव हारने के बाद भी सीएम की उनकी पुरानी हस्ती लौटा दी, अब केवल इस बात पर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या केशव प्रसाद मौर्या का पार्टी डिप्टी सीएम की कुर्सी फिर से सौंपेगी।

यह भी पढ़ें 👉  Meine Freundin Conni. Conni hat Geburtstag! - Buch

तो इस बात का जवाब यह है कि धामी फॉर्मूला यूपी में भी अपनाया जा सकता है और केशव मौर्या को चुनाव हारने के बावजूद डिप्टी सीएम की कुर्सी पर फिर से बैठाया जा सकता है। केशव प्रसाद को विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद बीजेपी क्यों फिर से डिप्टी सीएम के पद से नवाजेगी, इसकी वजह है राज्य में फैला ओबीसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस वोट बैंक की जरूरत। बीजेपी केशव को नजर अंदाज करके ओबीसी वर्ग का नाराज करने और सपा व अन्य विपक्षी दलों को आरोप लगाने का कोई मौका नहीं देना चाहती। बीजेपी थिंकटैंक यूपी में पहले ही उन्हें पिछड़ी जाति के अग्रिम नेता के रूप में आगे ला चुका है।

यह भी पढ़ें 👉  कपकोट में तहसील दिवस: 49 शिकायतों का त्वरित निस्तारण, आपदा क्षेत्र की विकास योजनाओं पर कड़े निर्देश

2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में व इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पिछड़े वर्ग का वोट लाने के मिशन पर लगाया गया था। इसकी वजह है राज्य में फैला ओबीसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस वोट बैंक की जरूरत। बीजेपी केशव को नजर अंदाज करके ओबीसी वर्ग का नाराज करने और सपा व अन्य विपक्षी दलों को आरोप लगाने का कोई मौका नहीं देना चाहती।

यह भी पढ़ें 👉  All That We Never Were : PDFs
Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ADVERTISEMENT

Advertisement
Advertisement

ट्रेंडिंग खबरें

To Top