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टिहरी झील का जल स्तर 828 आरएल मीटर तक पहुंचा, बढ़ेगा बिजली उत्पादन…

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टिहरी झील का जल स्तर 828 आरएल मीटर तक पहुंचा, बढ़ेगा बिजली उत्पादन…


Uttarakhand News: एशिया की सबसे ऊंची टिहरी झीलसे जुड़ा बड़ा अपडेट आ रहा है। बताया जा रहा है कि सरकार के टिहरी झील का जल स्तर 830 आरएल मीटर तक भरने की अनुमति दे दी है। झील का जल स्तर 828 आरएल मीटर तक पहुंच गया है। जिससे अब बिजली के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। सरकार के इस फैसले से अधिकारियों में खुशी की लहर है।

मिली जानकारी के अनुसार टिहरी झील के जलस्तर 828 आरएल मीटर तक ही अनुमति दी गई थी, जो पहुंच गया है। वहीं अब इसे बढ़ाकर 830 आरएल मीटर तक कर दिया गया है। टिहरी बांध की झील से चारों टरबाइन चलाई जा रही है। बांध से 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन नॉर्दन ग्रिड को सप्लाई किया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार की तरफ से टिहरी झील का अनुमति जलस्तर 830 आरएल मीटर है।  इस बार टिहरी झील का लेवल 830 आरएल मीटर तक भरा जाएगा।

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बताया जा रहा है कि टिहरी डैम आपदा, भूकंप, डिजायन और फ्लड क्षमता के अनुरूप पूरी तरह से सुरक्षित है। किसी भी शंका की गुंजाइश नहीं है। टिहरी बांध की सुरक्षा पर लोग शक नहीं करें। टिहरी बांध सुरक्षा और सेफ्टी के अंतराष्ट्रीय मानकों से आच्छादित है। टिहरी डैम की सुरक्षा में निर्माण से पहले मास्को की अंतराष्ट्रीय संस्था एचपीआई और आईआईटी रूड़की की संयुक्त टीम से रिसर्च करवाकर कर मानकों को अपनाया गया है।

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बताया जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री महाराज ने 252 करोड़ की धनराशि टीएचडीसी से अवमुक्त करवाने के आदेश केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह से आग्रह किया था।अब विस्थापित होने वाले परिवारों को पैसे मिल रहे हैं। टिहरी बांध रॉकफिल बांध है जिसमें पूरी एडजस्टेबल क्षमता है। टिहरी बांध की क्षमता 8 रिएक्टर के भूकंप को झेलने की है, जबकि अभी तक दुनिया में मात्र 7 रिएक्टर का ही भूकंप आया है।

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कैबिनेट सतपाल महाराज ने बताया कि विस्थापन के लिए 252 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। साथ ही कहा कि टिहरी झील के किनारे तल्ला उप्पू गांव की जो समस्याएं थी, उसका भी निराकरण कर दिया गया है। टिहरी बांध परियोजना ने ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ा काम किया है। यह बहुत बड़ा ऊर्जा का केंद्र व ऊर्जा का मंदिर बना है। निश्चित तौर पर विस्थापितों की समस्याओं का हल होना चाहिए।

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