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नॉलेज: श्रावण मास मे क्या हैं मांस न खाने के कारण, पढ़िए…

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नॉलेज: श्रावण मास मे क्या हैं मांस न खाने के कारण, पढ़िए…

 

धर्म। सावन के महीने को बारिश का महीना कहा जाता है। इस महीने मांस ना खाने के कई धार्मिक कारण हैं तो वहीं कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। धार्मिक दृष्टि से देखें तो इस मौसम में भगवान शिव की पूजा के कारण मांसाहार का सेवन वर्जित है। सभी जानते हैं कि किसी जीव की हत्या करना पाप है। इस महीने में मांसाहार को छोड़कर पाप से बचना चाहिए। सावन का मौसम सेहत के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो इस महीने में मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने रिमझिम बारिश होती रहती है। वातावरण में फंगस, फफूंदी और फंगल इंफेक्शन बढ़ने लगते हैं। खाने-पीने का सामान जल्दी खराब होने लगता है, क्योंकि सूर्य चंद्रमा की रोशनी का अभाव हो जाता है, जिससे खाद्य पदार्थ जल्द संक्रमित हो जाते हैं।

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नॉन-वेज खाने को पचने में ज्यादा समय लगता है। पाचन शक्ति कमजोर होने की वजह से खाना नहीं ता है। जिसकी वजह से स्वास्थ्य जिससे खाद्य पदार्थ जल्द संक्रमित हो जाते हैं।

नॉन-वेज खाने को पचने में ज्यादा समय लगता है। पाचन शक्ति कमजोर होने की वजह से खाना नहीं पचता है। जिसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों हो सकती हैं। यही कारण है कि इन महीनों में मांसाहार का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।

पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है
सावन के महीने में लगातार बारिश होने से आर्द्रता और नमी बढ़ जाती है, जिससे हमारी पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है। मांसाहार पदार्थों को पचने में ज्यादा समय लगता है। पाचन शक्ति कमजोर होने से नॉन-वेज फूड आंतों में सड़ने लगते हैं। पेट भारी लगने लगता है। चूंकि हमारा पूरा शरीर हमारे पाचन अग्नि पर ही निर्भर है, जिससे हमारी तबीयत खराब हो जाती है। अग्नि ही हमारे शरीर के सप्त धातुओं का निर्माण करने में सक्षम होती है। यूं कहे कि पाचन अग्नि ही हमारे सप्त तुओं की गुणवत्ता को निर्धारित निर्माण करने में सक्षम होती है। यूं कहे कि पाचन अग्नि ही हमारे सप्त धातुओं की गुणवत्ता को निर्धारित करती है।

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जानवर भी हो जाते हैं बीमार वातावरण में कीड़े, मकोड़े की संख्या बढ़ जाती है। कई मौसमी बीमारियां होने लगती हैं, जो जानवरों को भी बीमार कर देती हैं। इनका मांस सेवन करना हानिकारक है।

क्या और कैसी है हमारी पाचन अग्नि
सम अग्नि : इसमें हमारी पाचन

क्रिया सामान्य होती है, इसमें भोजन पचने में 5 से 6 घंटे लगता है।

मंद अग्नि : इसमें पाचन 7 से 8 घंटे
से अधिक समय लग जाता है, जिसके कारण हमारा भोजन अंदर ही अंदर सड़ने लगता है और अनेक रोगों को उत्पन्न करता है।
विषम अग्नि : इसमें भोजन पाचन
में 6 घंटे से भी अधिक का समय लगता है।
तीक्ष्ण अग्नि : इसमें भोजन पाचन
में कम से कम समय लगता है।

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देर से पचने वाला भोजन नहीं करना चाहिए

जानवर जो घास-फूस खाते हैं, उसके साथ बहुत सारे जहरीले कीड़े सेवन कर लेते हैं, इससे जानवर बीमार हो जाते हैं। उन्हें भी संक्रमण हो जाता है। ऐसे में जानवरों का मांस शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है।

मछली अंडे देती है, उसका सेवन हानिकारक है

इस समय मछली अंडोत्सर्ग करती है। उसका सेवन करने से बीमारी का खतरा रहता है। अन्य पशुओं के गर्भधारण-प्रजनन का यह समय होता है। इनके शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होता है, इस समय खाना सही नहीं है।

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