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एम्स के विशिष्ट समारोहों में बजेगी आर्मी बैंड धुन

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एम्स के विशिष्ट समारोहों में बजेगी आर्मी बैंड धुन


एम्स के सिक्योरिटी गार्ड अब अपनी नियमित ड्यूटी करने के अलावा पाइप बैंड की शानदार धुन भी बजाते नजर आएंगे। हांलाकि बैंड द्वारा जोश और मनोबल बढ़ाने वाली देशभक्ति की यह मधुर धुन किसी विशिष्ट अतिथि के आगमन या राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर ही सुनने को मिलेगी।

हाल ही में 15 अगस्त को संस्थान की अपनी बैंड टोली इसका कुशल प्रदर्शन कर चुकी है। टोली में शामिल सभी पाइपर और ड्रमर उत्तराखण्ड के पूर्व सैनिक हैं और वर्तमान में एम्स के सुरक्षा विभाग में तैनात हैं।

राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर एम्स ऋषिकेश अब स्वयं का आर्मी बैंड उपयोग करेगा। इस बैंड में संस्थान के सिक्योरिटी विभाग में सेवाएं दे रहे 12 सुरक्षा कर्मी शामिल किए गए हैं जो भारतीय सेना में अपने सेवाकाल के दौरान से ही इस कला में निपुण रहे हैं। इस पाइप बैंड टोली में 2 बैंड मास्टर, 6 पाइपर, 2 बिगुलर, 1 बेस ड्रमर और 1 ट्रैनर ड्रमर शामिल हैं।

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हाल ही में पिछले पखवाड़े 15 अगस्त को इस पाइप बैंड द्वारा अपनी पहली शानदार प्रस्तुति दी गयी। मौका था स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर संस्थान द्वारा परिसर के अंदरूनी मार्गों में निकाली गयी तिरंगा यात्रा का। इस दौरान संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो0 मीनू सिंह ने यात्रा की अगुवाई कर न केवल स्टाफ सदस्यों में जोश भरा अपितु पाइप बैंड टोली का भी उन्होंने भरपूर उत्साह वर्धन किया।

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संस्थान के उप मुख्य सुरक्षा अधिकारी कमान्डेंट अनिल चन्द्र सिंह ने बताया कि बैंड में शामिल टोली के सदस्यों को ड्यूटी टाइम के अतिरिक्त समय में बैंड अभ्यास का अतिरिक्त प्रशिक्षण दिया गया।

उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देशन में बैंड टोली को पूरी तरह निपुण बना दिया गया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय पर्वों और अधिकारिक कार्यक्रमों के अवसर पर एम्स प्रशासन अभी तक आर्मी अथवा आईटीबीपी के माध्यम से पाइप बैन्ड की व्यवस्था करता था। बैंड टीम में बैगपाइपर व ड्रम आदि वाद्ययंत्रों के माध्यम से जोशपूर्ण मनमोहक धुन बजाने की विशेष कला होती है।

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’’विशेष अवसरों पर आर्मी बैंड की आवश्यकता को देखते हुए यह व्यवस्था की गयी है। संस्थान में सेवा दे रहे सभी सुरक्षा गार्ड पूर्व में भारतीय सेना के अंग रहे हैं और इनमें से कुछ पाइप बैंड वाद्य यंत्रों के ज्ञाता हैं। सुरक्षा विभाग द्वारा पाइप बैंड के प्रति उत्साह और अनुभव को देखते हुए बैंड टोली बनाने का निर्णय लिया गया। ’’

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