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लोहाघाट संग्ज्यू 2024: सीएम धामी के रोड शो में उमड़ा जनसैलाब…

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लोहाघाट संग्ज्यू 2024: सीएम धामी के रोड शो में उमड़ा जनसैलाब…


चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को मातृशक्ति को समर्पित ‘संगज्यू-2024 कार्यक्रम में लोहाघाट पहुंचे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राजकीय इंटर कॉलेज लोहाघाट से रामलीला मैदान लोहाघाट तक विशाल रोड शो में प्रतिभाग किया। रोड शो में हज़ारों की संख्या में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से जनता पहुंची। जनता ने पुष्प वर्षा कर मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया।


कार्यक्रम के दौरान पहाड़ की संस्कृति की झलक देखने को मिली। जिसमें सांस्कृतिक दलों और छोलिया नृत्य, स्थानीय जनता द्वारा ढोल दमाऊ बजाकर व पारंपरिक परिधानों में सज धज कर महिलाओं ने फूल बरसाकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इससे पूर्व महिला पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

मातृशक्ति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य पर आधारित कार्यक्रम संग्ज्यू 2024 के दौरान महिला पीआरडी, एनसीसी, एनएसएस व नर्सिंग कॉलेज की महिलाओं,बालिकाओं के अतिरिक्त विभिन्न विद्यालयों की छात्राएं व स्वयंसेवी संस्थाओं की महिलाओं द्वारा मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री ने देवी शक्ति स्वरूप 9 कन्याओं का पूजन किया तथा आशीर्वाद प्राप्त कर प्रदेश की सुख, शांति व समृद्धि की कामना की।

इस दौरान जनपद चंपावत के विभिन्न विकास खंडों में गठित सहकारिताओं एवं समूहों की महिलाओं द्वारा उत्पादित उत्पादों एवं अन्य विभागों एनआरएलएम, पशुपालन, महिला डेयरी,दुग्ध संघ, उद्यान आदि परियोजनाओं के स्टाल लगाए गए थे। इन स्टाल में ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादित स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर धामी ने स्टॉलों का निरीक्षण कर महिला समूहों द्वारा किए जा रहे कार्यो की सराहना की।

सीएम धामी ने पहाड़ की पारंपरिक वस्तुओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महिलाओं के साथ ओखली में धान कूटने, रिंगाल की टोकरी बुनने के साथ ही लोहाघाट काली कुमाऊं की प्रसिद्ध हाथ से बनने वाली कढ़ाई व अन्य लोहे के सामान को अपने पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाते आ रहे उद्यमियों की पीठ थपथपाई। कहा कि वे अपने आमा-बूबू के समय से ही लोहाघाट की कढ़ाईयों का प्रयोग ही नहीं करते बल्कि अपने ईष्ट मित्रों को सौगात के रूप में देते आ रहे हैं। उनका कहना था कि लोहे की कढ़ाई में भोजन बनाने से हमें प्राकृतिक रूप से आयरन मिलने लगता है, इस दौरान उन्होंने स्वयं भी लोहे की चादर पीट कर, कहा कि हमारे ये बुजुर्ग इसी प्रकार पीढ़ी दर पीढ़ी पसीना बहाकर हमें लोहे की कढ़ाई का गजब का स्वाद बनाए हुए हैं।

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